रविवार, 19 अक्टूबर 2025

19 अक्टूबर 25 के अंक में प्रकाशित

एक बिहारी सब पर भारी, जै बिहार जय जय बिहार 
मनबोध मास्टर पूछलें-बाबा! का हाल बा? बाबा बतवलें- बिहार में चुनाव चलत बा। सब व्यस्त बा। नायक हो, खलनायक हो,गायक चाहे अभिनेता। सब बनल चाहत नेता। समाज सेवा तब्बे बढ़िया होई ज़ब विधायकी के कुर्सी मिल जाई। सज्जो दलवा में कुर्सी खोर बाड़न। येह बेर बिहार के बदल दिहला में लोग लागल बा। चोर लड़ीहन, छिछोर लड़ीहन। बिहार के लंदन बनाके मनीहें। जुटान जारी बा। लगता नेतन के महाकुम्भ लागल बा। <br>चुनाव प्रत्याशी के का करे के बा, असली परीक्षा त वोटर भाई लोग के बा। उनका साबित करे के चाहीं कि एक बिहारी सब पर भारी। लेकिन उ त अझुराईल बाड़न लोकप्रियता की जाल में। सजो राजनीतक दल भी लोकप्रिय प्रत्याशी खोजत बा। एगो प्रत्याशी अपनी लोकप्रियता बढ़वला की चक्कर में भैस पर बैठ के नामांकन करे गईलन। अब उ जमाना लद गईल की कार्यकर्ता के टिकट मिल जाई, इ समस्या कवनो एक दल में ना, सजो में समाईल बा। <br>कइसन- कइसन प्रत्याशी उतरत हहवें, आज जेल होई, काल्ह बेल होई परसो से उहे खेल होई, इहो गाना गावे वाला लड़ीहन। नरसंहार के आरोपी, बालू-शराब माफिया? फैसला बिहार की जनता के करे के बा। <br>दाँव लगा के नेता टुकर टुकर ताकत बाड़े, धयलसी कीकोरा, पाकी कहिओ आम, मिली त मिली ना त जय श्रीराम। टिकट चाहीं त कवनो पार्टी के झंडा ढोवला के कवन जरूरत बा। राजनीति में आवेके बा त बढ़िया गायक बनअ, बढ़िया खलनायक बनअ, बढ़िया नचनिया बनअ, बढ़िया जोकर बनअ, बढ़िया पलटीमार बनअ , बढ़िया रंग बाज बनअ और भी सब कुछ बढ़िया बढ़िया...। पार्टी बोला के टिकट दे दिहे। चुनावी मंच से सुन आपन मन पसंद तराना - "मन करे सिलवट पर लोढ़ा से कुंच दी जवानी रजऊ..."। बिहार में येह चुनाव में कलाकारन के बहार बा। <br>यूपी में कलाकार से "सरकार" बनल कई माननीय लोग भी बिहार में प्रचार में गईल बा। केहू, लहंगा उठा देईब रिमोट से..। केहू, बगल वाली जान मारेली..। केहू, सटल रहे...। जेईसन गाना गाके लोकप्रिय होके सांसद हो गईल त बिहार काहे पीछे रही। बिहारी लोग भी ओठलाली से रोटी बोर के खाई.., लवनडिया लंदन से लाई...। रात भर डीजे बजाई। चुनाव मुद्दाविहीन बा।भाड़ में जा गरीबी, स्वाशथ्य, शिक्षा, बेरोजगारी, पलायन आ विकास के मसला। बस लोकप्रियता के जलवा, चाहे कवनो क्षेत्र में होखे। <br>फेरु मिलब अगिला हफ्ते, पढल करिन रफ्ते रफ्ते...<br>✍️एन डी देहाती

रविवार, 12 अक्टूबर 2025

12 अक्टूबर 2025 भोजपुरी व्यंग्य


इ कवन खेला बा , समझीं बड़ा झमेला बा 

मनबोध मास्टर पुछलें- बाबा! का हाल बा? बाबा बतवलें- हाल त बेहाल बा। सब माया के कमाल बा। लखनऊ में रैली भईल। रैली की रेला में राजनीति के खेला भईल। भीम बाबा की जयकार की साथे साथ बाबा के भी जयकार भइल। जयकारा बेहतर व्यवस्था खातिर रहल। रउरा जानते हईं यूपी में जीरो टालरेंस की नीति पर काम चलत बा। जेकरा पर भ्रष्टाचार के ममिला होखे ओकरा दुआरी कब बुलडोजर घमक जाई, इहो बात बा। तानिसा जयकारा क दिहले जान बचल रहे त का लागत बा। साँच बात इ बा की जे माया के बा उ माया के ही रही। केतनो अनुदान, राशन, भासन, अगराशन दिआइल लेकिन भीम बाबा के माने वाला ना लुभइले, एक ही पानी पर रहि गईलन। 
राजनीति के खेला रजनीतिहा लोग जानी, एईजा
 आम आदमी की झुराइल जिनगी की रेगिस्तान में कब हरियर लउकी। उषाकाल से अपरान्ह काल तक पंडिताइन के एक ही रट-  ए जी! सुनत हई। संवकेरे घरे आ जाइब, आज करवा चौथ ह। चलनी में चांद निहारे के बा। राउर आरती उतारेके बा। बाबा सोचे लगलें- अगर इ व्रत ना रहित, त पंडिताइन सीधे मुंह बात भी ना करती। घरकच की करकच में रोज-रोज घटल नून-तेल-मरिचाई के चिंता से से परेशान मनई ऊपर से मिलावट के बाजार। जब जब कवनो त्योहार आवेला त खाद्य विभाग वाला जागेलन। गरीब आदमी का भला ये महंगी में पनीर कहां भेटाई, लेकिन देवरिया में तीन कुंतल पनीर खंता खोनि के माटी में मेरा दिहल गईल। पता चलल चालानी रहल। चालानी माने मिलावटी, अब बुझाईल। सरकार कहत बा, स्वदेशी अपनाई। त गाय भैस पालीं, खांटी दूध के पनीर खाईं।
 फेरु मिलब अगिला हफ्ते, पढ़ल करीं, रफ़्ते-रफ़्ते...
✍️ एन डी देहाती 
हम अपनी ब्लॉग पर राउर स्वागत करतानी | अगर रउरो की मन में अइसन कुछ बा जवन दुनिया के सामने लावल चाहतानी तअ आपन लेख और फोटो हमें nddehati@gmail.com पर मेल करी| धन्वाद! एन. डी. देहाती

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